बढ़ा हंगामा-ए-शौक़ इस क़दर बज़्म-ए-हरीफ़ाँ में
कि रुख़्सत हो गया उस का हिजाब आहिस्ता आहिस्ता
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कठिन है काम तो हिम्मत से काम ले ऐ दिल
बहार आई है आराइश-ए-चमन के लिए
मजाल-ए-तर्क-ए-मोहब्बत न एक बार हुई
ज़मीं रोई हमारे हाल पर और आसमाँ रोया
आँख में जल्वा तिरा दिल में तिरी याद रहे
मेहनत हो मुसीबत हो सितम हो तो मज़ा है
शौक़ देता है मुझे पैग़ाम-ए-इश्क़
जुदा करेंगे न हम दिल से हसरत-ए-दिल को
पोशीदा देखती है किसी की नज़र मुझे
आग़ाज़ से ज़ाहिर होता है अंजाम जो होने वाला है
सच कहा है कि ब-उम्मीद है दुनिया क़ाइम
इस ज़माने में ख़मोशी से निकलता नहीं काम