Ghazals of Wahshat Raza Ali Kalkatvi (page 2)

Ghazals of Wahshat Raza Ali Kalkatvi (page 2)
नामवहशत रज़ा अली कलकत्वी
अंग्रेज़ी नामWahshat Raza Ali Kalkatvi
जन्म की तारीख1881
मौत की तिथि1956
जन्म स्थानKolkata

किस नाम-ए-मुबारक ने मज़ा मुँह को दिया है

कहते हो अब मिरे मज़लूम पे बेदाद न हो

जुदा करेंगे न हम दिल से हसरत-ए-दिल को

जो तुझ से शोर-ए-तबस्सुम ज़रा कमी होगी

जान उस की अदाओं पर निकलती ही रहेगी

हुए हैं गुम जिस की जुस्तुजू में उसी की हम जुस्तुजू करेंगे

दिल के कहने पे चलूँ अक़्ल का कहना न करूँ

देखना वो गिर्या-ए-हसरत-मआल आ ही गया

दर्द का मेरे यक़ीं आप करें या न करें

दर्द आ के बढ़ा दो दिल का तुम ये काम तुम्हें क्या मुश्किल है

चला जाता है कारवान-ए-नफ़स

बहार आई है आराइश-ए-चमन के लिए

और इशरत की तमन्ना क्या करें

ऐ अहल-ए-वफ़ा ख़ाक बने काम तुम्हारा

आज़ाद उस से हैं कि बयाबाँ ही क्यूँ न हो

आप अपना रू-ए-ज़ेबा देखिए

आँख में जल्वा तिरा दिल में तिरी याद रहे

आह-ए-शब नाला-ए-सहर ले कर

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