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तवाना ख़ूबसूरत जिस्म - वहीद अख़्तर कविता - Darsaal

तवाना ख़ूबसूरत जिस्म

आ'ज़ा का तनासुब

रगों में दौड़ते ज़िंदा जवाँ सरशार ख़ूँ की गुनगुनाहट

हमें देते हैं दावत इश्क़ की

लेकिन

हमारी चश्म-ए-आहन-पोश पैराहन-शनासा है

लिबासों की मोहब्बत

वज़्-ए-पैराहन को सब कुछ मान कर

ना-बीना आँखें इश्क़ करती हैं

हमारी ज़िंदगी तहज़ीब-ए-पैराहन है

ज़ाहिर की परस्तिश है

हमारे सारे आदाब-ए-नज़ारा फ़र्ज़ कर लेते हैं

इंसाँ बे-बदन है

बदन दर-अस्ल इंसाँ है तमद्दुन है मोहब्बत है

बदन ही रूह है नूर-ए-हरारत ज़िंदगी है

बदन ही का करिश्मा ज़ेहन की तख़्लीक़ तस्ख़ीर-ए-फुलाँ है

हमारी चश्म-ए-आहन-पोश पैराहन शनासा है

बदन की ताब ला सकती नहीं

तहज़ीब-ए-पैराहन न ज़िंदा है न ज़ेहन-ओ-रूह रखती है

हमारे बूढ़े कोहना और फ़र्सूदा लिबासों से इबारत हैं

हमारे नौजवाँ मग़रिब के ताज़ा फैशनों के चलते फिरते इश्तिहारी हैं

बदन मादूम है

और बे-बदन रूहें धुआँ हैं

बे-बदन अज़हान आसेब-ए-नज़ारा हैं

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In Hindi By Famous Poet Waheed Akhtar. is written by Waheed Akhtar. Complete Poem in Hindi by Waheed Akhtar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.