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इबहाम दीदा - वहाब दानिश कविता - Darsaal

इबहाम दीदा

मुख़ातिब

आसमाँ है या ज़मीं

मालूम कर लेना

कि दोनों के लिए तश्बीब के

मिसरे अलग से हैं

कहीं ऐसा न हो

कि आसमाँ बद-ज़न

ज़मीं नाराज़ हो जाए

क़सीदे में गुरेज़-ए-ना-रवा का

मोड़ आ जाए

तिरे सर पे कोई इल्ज़ाम आएद हो

कि तू भी अंदलीब-ए-गुलशन-ए-ना-आफ़्रीदा है

सुख़न-फ़हमी तिरी गुंजलक

बयाँ इबहाम-दीदा है

ये मशवरा इस लिए देता हूँ

जान-ए-मन

कि गर्दिश में घिरा है आसमाँ

बरहम तबक़ सारे

ज़मीं भी अपने महवर से अलग चक्कर लगाती है

क़सीदा सोच के लिखना

कहीं इनआम ओ ख़िलअत की जगह

कासा न भर जाए

मलामत से

ख़जालत से

नदामत से

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In Hindi By Famous Poet Wahab Danish. is written by Wahab Danish. Complete Poem in Hindi by Wahab Danish. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.