Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_9c102a0ee6f9237a51d1063a05e69650, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
ख़ाक के पुतलों में पत्थर के बदन को वास्ता - वहाब दानिश कविता - Darsaal

ख़ाक के पुतलों में पत्थर के बदन को वास्ता

ख़ाक के पुतलों में पत्थर के बदन को वास्ता

इस सनम-ख़ाने में सारी उम्र मुझ से ही पड़ा

जब सफ़र की धूप में मुरझा के हम दो पल रुके

एक तन्हा पेड़ था मेरी तरह जलता हुआ

जंगलों में घूमते फिरते हैं शहरों के फ़क़ीह

क्या दरख़्तों से भी छिन जाएगा आलम वज्द का

नर्म-रौ पानी में पहरों टिकटिकी बाँधे हुए

एक चेहरा देखता था बोलता सा आईना

ये सियाही ख़ून में इक रोज़ मिल जाएगी जब

चौदहवीं का चाँद कमरे में उतर आए तो क्या

(590) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Wahab Danish. is written by Wahab Danish. Complete Poem in Hindi by Wahab Danish. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.