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मेरा वहम-ओ-गुमान रहने दे - विशाल खुल्लर कविता - Darsaal

मेरा वहम-ओ-गुमान रहने दे

मेरा वहम-ओ-गुमान रहने दे

सुन मुझे बे-ज़बान रहने दे

दर्द-ए-दिल कामरान रहने दे

ऐ मोहब्बत जवान रहने दे

मुझ में ऊँची उड़ान रहने दे

मेरी हसरत जवान रहने दे

मुर्दा लोगों की बस्तियाँ वीराँ

मेरे जज़्बों में जान रहने दे

जा-ब-जा जम्अ' सूरजों की भीड़

मान ऐ आसमान रहने दे

एक चुप सी लगी हुई अच्छी

रहने दे दास्तान रहने दे

मैं भी ख़ुद को बचा सकूँ ख़ुद से

ऐसा हर्फ़-ए-बयान रहने दे

काम बनने लगें अगर यूँही

सब के सब राम बान रहने दे

ग्रंथ इक प्रेम का पढ़ा मुझ को

और किताबों का ज्ञान रहने दे

आग में जल रहा हूँ बरसों से

अब मिरा इम्तिहान रहने दे

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In Hindi By Famous Poet Vishal Khullar. is written by Vishal Khullar. Complete Poem in Hindi by Vishal Khullar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.