Ghazals of Vishal Khullar
नाम | विशाल खुल्लर |
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अंग्रेज़ी नाम | Vishal Khullar |
उस एक शख़्स का कोई पता नहीं मिलता
तिरी जब नींद का दफ़्तर खुला था
न दरमियाँ न कहीं इब्तिदा में आया है
मेरे दुख की दवा भी रखता है
मेरा वहम-ओ-गुमान रहने दे
मैं इंसाँ था ख़ुदा होने से पहले
लम्हा लम्हा शोर सा बरपा हुआ अच्छा लगा
क्या ख़ला आसमान था पहले
दीवार-ओ-दर सा चाहिए दीवार-ओ-दर मुझे
आग दरिया को इशारों से लगाने वाला