इक-दूजे में भी तो रहा जा सकता है

इक-दूजे में भी तो रहा जा सकता है

हिज्र अभी कुछ दिन टाला जा सकता है

यूँ भी तो कितनी चीज़ें हैं इस घर में

मेरा दिल कुछ रोज़ रखा जा सकता है

ख़ार अगर हैं फूल भी तो है थोड़े से

दामन को तो महकाया जा सकता है

काश मिरा दिल वो बच्चा ही रहता जो

आसानी से बहलाया जा सकता है

पैराहन अल्फ़ाज़ के बूटों वाला इक

ख़ामोशी को पहनाया जा सकता है

टूट के ही एहसास मुझे ये हो पाया

दर्द अभी कुछ और सहा जा सकता है

आप ख़ुदा होने की कोशिश में हैं पर

सिर्फ़ आश्ना भी तो हुआ जा सकता है

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In Hindi By Famous Poet Vineet Aashna. is written by Vineet Aashna. Complete Poem in Hindi by Vineet Aashna. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.