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सब के आगे नहीं बिखरना है - विकास शर्मा राज़ कविता - Darsaal

सब के आगे नहीं बिखरना है

सब के आगे नहीं बिखरना है

अब जुनूँ और तरह करना है

क्या ज़रूरत है इतने ख़्वाबों की

दश्त-ए-शब पार ही तो करना है

आ गए ज़िंदगी के झाँसे में

ठान रक्खा था आज मरना है

पूछना चाहिए था दरिया को

डूबना है कि पार उतरना है

बैंड-बाजा है थोड़ी देर का बस

रात भर किस ने रक़्स करना है

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In Hindi By Famous Poet Vikas Sharma Raaz. is written by Vikas Sharma Raaz. Complete Poem in Hindi by Vikas Sharma Raaz. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.