सहेली
किस धुन में रहती हो तुम
उलझे हुए बालों की गिर्हें
तुम से नहीं सुलझती क्या
लाओ इन्हें मैं सुलझा दूँ
ऊन के उलझे गुच्छों से
ये बाल तुम्हारे
सुलझे तो रेशम हो जाएँ
और बालों को सुलझाने के बहाने
जीवन की उलझन सुलझाऊँ
घने बनों में शंख बजाऊँ
और तितली बन कर उड़ जाऊँ
शाख़ों को मैं रक़्स दिखाऊँ
एक काग़ज़ की नाव बनाऊँ
तुझ को दूर बहा ले जाऊँ
और तेरे दुख की वर्षा में
अंतर्मन तक भीगती जाऊँ
आ अजनबी सी लड़की
मैं तेरी बचपन की सी सहेली हो जाऊँ
(644) Peoples Rate This