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आवाज़ - वर्षा गोरछिया कविता - Darsaal

आवाज़

तुम्हारी ज़बाँ से गिरा

एक शोख़ लफ़्ज़

बारिश

यूँ लगा कि मुझे छू गया हो जैसे

खिड़की के बाहर बूंदों की टिपटिपाहट

कानों से होती हुई धड़कन तक आ पहूँची

एक संगीत एक राग था

दोनों में

पत्तों पर पानी की बूँदें यूँ लगी मानो

तुम ने चमकती सी कुछ ख़्वाहिशें रखी हों

गीली गीली यादों की कुछ फूहारें

सफ़ेद झीने पर्दों से आती ठंडी हवा

दूर तक फैले हुए देवदार के दरख़्त

और उन की नौ-उम्र टहनियाँ की सरगोशियाँ

पैरों की उँगलियों में गुदगुदी कर गई

सुनो ना

मैं कसमसा जाती हूँ

यूँ न मेरा नाम लिया करो

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In Hindi By Famous Poet Varsha Gorchhia. is written by Varsha Gorchhia. Complete Poem in Hindi by Varsha Gorchhia. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.