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आशिक़ हुए तो इश्क़ में होश्यार क्यूँ न थे - वारिस किरमानी कविता - Darsaal

आशिक़ हुए तो इश्क़ में होश्यार क्यूँ न थे

आशिक़ हुए तो इश्क़ में होश्यार क्यूँ न थे

हम इन के मदह-ख़्वाँ सर-ए-बाज़ार क्यूँ न थे

हाँ जब सितम को ऐन करम कह रहे थे लोग

हम भी शरीक-ए-गर्मी-ए-गुफ़्तार क्यूँ न थे

जब चल रहा था वक़्त पे जादू निगाह का

इक हम असीर-ए-चशम-ए-फुसूँ-कार क्यूँ न थे

अब क्या शहीद-ए-नाज़ बने फिर रहे हैं लोग

मरने का शौक़ था तो सरदार क्यूँ न थे

'वारिस' ये शाइरी सम-ए-क़ातिल से कम नहीं

आप इस बला-ए-जाँ से ख़बर-दार क्यूँ न थे

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In Hindi By Famous Poet Varis Kirmani. is written by Varis Kirmani. Complete Poem in Hindi by Varis Kirmani. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.