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दिल प्यार के रिश्तों से मुकर भी नहीं जाता - वली मदनी कविता - Darsaal

दिल प्यार के रिश्तों से मुकर भी नहीं जाता

दिल प्यार के रिश्तों से मुकर भी नहीं जाता

शाकी है मगर छोड़ के दर भी नहीं जाता

हम किस से करें शो'लगी-ए-मेहर का शिकवा

ऐ अब्र-ए-गुरेज़ाँ तो ठहर भी नहीं जाता

इस शहर-ए-अना में जो फ़सादात न छिड़ते

तो प्यार का ये शौक़-ए-सफ़र भी नहीं जाता

वो फ़हम-ओ-फ़रासत का दिया हाथ में ले कर

इस दौर-ए-तशद्दुद से गुज़र भी नहीं जाता

इस एक की रस्सी को अगर थाम के रहते

फिर अपनी दुआओं का असर भी नहीं जाता

ये ज़ीस्त के लम्हे हैं 'वली' क़ीमती हीरे

क्यूँ कोई बड़ा काम तू कर भी नहीं जाता

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In Hindi By Famous Poet Vali Madni. is written by Vali Madni. Complete Poem in Hindi by Vali Madni. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.