जो हुस्न में आ के नाज़ बन जाता है
जो हुस्न में आ के नाज़ बन जाता है
और इश्क़ में जो नियाज़ बन जाता है
जो नग़्मों में जा के साज़ बन जाता है
दिल में मिरे आ के राज़ बन जाता है
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जो हुस्न में आ के नाज़ बन जाता है
और इश्क़ में जो नियाज़ बन जाता है
जो नग़्मों में जा के साज़ बन जाता है
दिल में मिरे आ के राज़ बन जाता है
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