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आसमाँ से सहीफ़े उतरते रहे - उषा भदोरिया कविता - Darsaal

आसमाँ से सहीफ़े उतरते रहे

आसमाँ से सहीफ़े उतरते रहे

रौशनी से मगर लोग डरते रहे

ज़िंदगी इतनी मजबूर सी हो गई

हादसे मुझ को अश्कों से भरते रहे

जिन को सब कुछ मिला उन को सब कुछ मिला

जो बिखरते रहे बस बिखरते रहे

बन गईं जब भी हमराज़ तन्हाइयाँ

दिल की हर बात हम दिल से करते रहे

आते जाते नज़र तुझ से मिलती रही

आइने ज़ावियों पर उभरते रहे

चंद यादें खिलीं और मुरझा गईं

बस हवाओं में ज़र्रे बिखरते रहे

आप आते रहे गीत गाते रहे

घर के दीवार-ओ-दर भी सँवरते रहे

कुछ भी टूटा नहीं कुछ भी बिखरा नहीं

हादसे रास्तों से गुज़रते रहे

कब किया हम ने 'ऊषा' किसी से गिला

ख़ुद में जीते रहे ख़ुद में मरते रहे

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In Hindi By Famous Poet Usha Bhadoriya. is written by Usha Bhadoriya. Complete Poem in Hindi by Usha Bhadoriya. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.