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आइने से बात करना इतना आसाँ भी नहीं - उषा भदोरिया कविता - Darsaal

आइने से बात करना इतना आसाँ भी नहीं

आइने से बात करना इतना आसाँ भी नहीं

अक्स की तह से उभरना इतना आसाँ भी नहीं

ख़्वाहिशें सीने में उग आती हैं जंगल की तरह

ज़िंदगी बाँहों में भरना इतना आसाँ भी नहीं

अपने ही क़दमों की आहट जिस जगह चुभने लगे

ऐसी राहों से गुज़रना इतना आसाँ भी नहीं

जानती हूँ मैं जुदा है मेरे ख़्वाबों का मिज़ाज

इन उजालों में सँवरना इतना आसाँ भी नहीं

साथ रहता है हमेशा तेरा ग़म तेरा ख़याल

अब हुआ मालूम मरना इतना आसाँ भी नहीं

कैसी कैसी ऊँची दीवारें खड़ी हैं हर तरफ़

दिल में जो है कर गुज़रना इतना आसाँ भी नहीं

रख दिया है आप की चाहत ने मुझ को जिस जगह

इस बुलंदी से उतरना इतना आसाँ भी नहीं

सोचना पड़ता है तन्हाई में ख़ुद को बारहा

अपने ही सच से मुकरना इतना आसाँ भी नहीं

जाने 'ऊषा' कितने बंधन कितने रिश्ते तोड़ कर

दिल की ख़ाली गोद भरना इतना आसाँ भी नहीं

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In Hindi By Famous Poet Usha Bhadoriya. is written by Usha Bhadoriya. Complete Poem in Hindi by Usha Bhadoriya. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.