काश उस बुत को भी हम वक़्फ़-ए-तमन्ना देखें

काश उस बुत को भी हम वक़्फ़-ए-तमन्ना देखें

बर्फ़ की सिल से निकलता हुआ शो'ला देखें

जिन को मंज़िल-तलबी में हो तलाश-ए-रहबर

रहनुमाई को मिरे नक़्श-ए-कफ़-ए-पा देखें

पाँव की रौंदी हुई ख़ाक है अपने सर पर

हम ने चाहा था कि आलम तह-ओ-बाला देखें

नर्म और गर्म-निगाही पे नहीं अपनी नज़र

तेरे होते तिरा अंदाज़-ए-नज़र क्या देखें

अपना ग़म भी ग़म-ए-दुनिया के बराबर है 'उरूज'

अपना ग़म भूल सकें तो ग़म-ए-दुनिया देखें

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In Hindi By Famous Poet Urooj Zaidi Badayuni. is written by Urooj Zaidi Badayuni. Complete Poem in Hindi by Urooj Zaidi Badayuni. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.