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राह जो चलनी है उस में ख़ूबियाँ कोई नहीं - उर्मिलामाधव कविता - Darsaal

राह जो चलनी है उस में ख़ूबियाँ कोई नहीं

राह जो चलनी है उस में ख़ूबियाँ कोई नहीं

रूह अपनी छोड़ के वक़्त-ए-गिराँ कोई नहीं

दहर है जलता हुआ और पत्थरों के आदमी

चिलचिलाती धूप है और आशियाँ कोई नहीं

और कितना आज़माना जो हुआ वो ख़ूब है

तुम वही हो हम वही राज़-ए-निहाँ कोई नहीं

है नया कुछ भी नहीं क्यूँ इस क़दर हैराँ हुए

साथ चलने को तुम्हारे ऐ मियाँ कोई नहीं

सामने मक़्तल हुआ लो फ़िक्र से ख़ारिज हुए

बस यही रस्ता है जिस के दरमियाँ कोई नहीं

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In Hindi By Famous Poet Urmila Madhav. is written by Urmila Madhav. Complete Poem in Hindi by Urmila Madhav. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.