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रवाँ दवाँ सू-ए-मंज़िल है क़ाफ़िला कि जो था - उर्फ़ी आफ़ाक़ी कविता - Darsaal

रवाँ दवाँ सू-ए-मंज़िल है क़ाफ़िला कि जो था

रवाँ दवाँ सू-ए-मंज़िल है क़ाफ़िला कि जो था

वही हनूज़ है यक-दश्त फ़ासला कि जो था

निशात-ए-गोश सही जल-तरंग की आवाज़

नफ़स नफ़स है इक आशोब-ए-कर्बला कि जो था

गया भी क़ाफ़िला और तुझ को है वही अब तक

ख़याल-ए-ज़ाद-ए-सफ़र फ़िक्र-ए-राहिला कि जो था

वो आए जाता है कब से पर आ नहीं जाता

वही सदा-ए-क़दम का है सिलसिला कि जो था

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In Hindi By Famous Poet Urfi Aafaqi. is written by Urfi Aafaqi. Complete Poem in Hindi by Urfi Aafaqi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.