कुछ तो बताओ ऐ फ़रज़ानो दीवानों पर क्या गुज़री
शहर-ए-तमन्ना की गलियों में बरपा है कोहराम बहुत
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वो हादसे भी दहर में हम पर गुज़र गए
रात कई आवारा सपने आँखों में लहराए थे
मिरे शानों पे उन की ज़ुल्फ़ लहराई तो क्या होगा
हुस्न ही तो नहीं बेताब-ए-नुमाइश 'उनवाँ'
ज़िंदाबाद ऐ दश्त के मंज़र ज़िंदाबाद
तअ'स्सुब की फ़ज़ा में ता'ना-ए-किरदार क्या देता
वो मुस्कुरा के मोहब्बत से जब भी मिलते हैं
आज अचानक फिर ये कैसी ख़ुशबू फैली यादों की
रहने दे तकलीफ़-ए-तवज्जोह दिल को है आराम बहुत
बच्चे भी अब देख के उस को हँसते हैं
कहते हैं अज़ल जिस को उस से भी कहीं पहले