इश्क़ फिर इश्क़ है आशुफ़्ता-सरी माँगे है
होश के दौर में भी जामा-दरी माँगे है
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Habib Jalib
Wasi Shah
Rahat Indori
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(669) Peoples Rate This
हुस्न ही तो नहीं बेताब-ए-नुमाइश 'उनवाँ'
मिरे शानों पे उन की ज़ुल्फ़ लहराई तो क्या होगा
हुस्न से आँख लड़ी हो जैसे
मिरी समझ में आ गया हर एक राज़-ए-ज़िंदगी
कहते हैं अज़ल जिस को उस से भी कहीं पहले
ज़िंदाबाद ऐ दश्त के मंज़र ज़िंदाबाद
आज अचानक फिर ये कैसी ख़ुशबू फैली यादों की
इस कार-ए-नुमायाँ के शाहिद हैं चमन वाले
परेशाँ हो के दिल तर्क-ए-तअल्लुक़ पर है आमादा
रहने दे तकलीफ़-ए-तवज्जोह दिल को है आराम बहुत
किसी के फ़ैज़-ए-क़ुर्ब से हयात अब सँवर गई
सारी दुनिया में दाना है अपने घर में कुछ भी नहीं