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हम तिरा अहद-ए-मोहब्बत ठहरे - उम्मीद फ़ाज़ली कविता - Darsaal

हम तिरा अहद-ए-मोहब्बत ठहरे

हम तिरा अहद-ए-मोहब्बत ठहरे

लौह-ए-निस्याँ की जसारत ठहरे

दिल लहू कर के ये क़िस्मत ठहरे

संग फ़नकार की उजरत ठहरे

मक़्तल-ए-जाँ की ज़रूरत ठहरे

हम कि शायान-ए-मोहब्बत ठहरे

क्या क़यामत है वो क़ातिल मुझ में

मेरे एहसास की सूरत ठहरे

वक़्त के दजला-ए-तूफ़ानी में

आप हम मौजा-ए-उज्लत ठहरे

दोस्ती ये है कि ख़ुश्बू के लिए

रंग ज़िंदानी-ए-सूरत ठहरे

तू है ख़ुर्शीद न मैं हूँ शबनम

क्या मुलाक़ात की सूरत ठहरे

उफ़ ये गुज़रे हुए लम्हों का हुजूम

दर-ओ-दीवार क़यामत ठहरे

कूचा-गर्दान-ए-जुनूँ मिस्ल-ए-सबा

ज़ुल्फ़-ए-आवारा की क़िस्मत ठहरे

इश्क़ में मंज़िल आराम भी थी

हम सर-ए-कूचा-ए-वहशत ठहरे

जब से 'उम्मीद' गया है कोई!!

लम्हे सदियों की अलामत ठहरे

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In Hindi By Famous Poet Ummeed Fazli. is written by Ummeed Fazli. Complete Poem in Hindi by Ummeed Fazli. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.