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हम हैं बस इतने ही साहिल-आश्ना - उम्मीद फ़ाज़ली कविता - Darsaal

हम हैं बस इतने ही साहिल-आश्ना

हम हैं बस इतने ही साहिल-आश्ना

ख़ाक-ए-मंज़िल जितनी मंज़िल-आश्ना

तुझ से छुटते ही ये आलम है कि अब

दिल की धड़कन भी नहीं दिल-आश्ना

शम्अ बे-परवाना जल्वा बे-नगर

क्या हुए आख़िर वो महफ़िल-आश्ना

आह ये तूफ़ाँ-ब-कफ़ अब्र-ओ-हवा

आह वो यारान-ए-साहिल-आश्ना

वक़्त वो सहरा कि जिस की गर्द में

गुम हुए जाते हैं मंज़िल-आश्ना

इस की क़ुर्बत पर न इतराओ 'अमीर'

मौज कब होती है साहिल-आश्ना

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In Hindi By Famous Poet Ummeed Fazli. is written by Ummeed Fazli. Complete Poem in Hindi by Ummeed Fazli. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.