उमर फ़ारूक़ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का उमर फ़ारूक़
नाम | उमर फ़ारूक़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Umar Farooq |
उट्ठे जो तेरे दर से तो दुनिया सिमट गई
मुझे ख़रीद रहे हैं मिरे सभी अपने
मिरे मालिक मुझे इस ख़ाक से बे-घर न करना
हमें तो टूटी हुई कश्तियाँ नहीं दिखतीं
बदन का बोझ उठाना भी अब मुहाल हुआ
अब कू-ए-सनम चार क़दम ही का सफ़र है
घनी रात