दिल की जो आग थी कम उस को भी होने न दिया

दिल की जो आग थी कम उस को भी होने न दिया

हम तो रोते थे मगर आप ने रोने न दिया

शम्अ क्यूँ पर्दा-ए-फ़ानूस में छुप जाती है

उस ने परवाने को क़ुर्बान भी होने न दिया

याद-दिलबर में कभी ऐ दिल-ए-मुज़्तर तू ने

हम को चुप-चाप कहीं बैठ के रोने न दिया

आशियाँ का तो कोई ज़िक्र है क्या ऐ सय्याद

जमा तिनकों को कभी बर्क़ ने होने न दिया

आस्तीं आँखों पर उस शोख़ ने रख दी 'बाज़ल'

रो रहा था मुझे किस वास्ते रोने न दिया

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In Hindi By Famous Poet Uma Shankar Chitravanshi Bazal. is written by Uma Shankar Chitravanshi Bazal. Complete Poem in Hindi by Uma Shankar Chitravanshi Bazal. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.