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निगाहें नीची रखते हैं बुलंदी के निशाँ वाले - तुर्फ़ा क़ुरैशी कविता - Darsaal

निगाहें नीची रखते हैं बुलंदी के निशाँ वाले

निगाहें नीची रखते हैं बुलंदी के निशाँ वाले

उठा कर सर नहीं चलते ज़मीं पर आसमाँ वाले

तक़य्युद हब्स का आज़ादियाँ दिल की नहीं खोता

क़फ़स को भी बना लेते हैं गुलशन आशियाँ वाले

नहीं है रहबरी-ए-मंज़िल-ए-इरफ़ान-ए-दिल आसाँ

भटक जाते हैं अक्सर रास्ते से कारवाँ वाले

ज़मीं की इंकिसारी भी बड़ा ए'जाज़ रखती है

जबी-सा हो गए ख़ुश्की पे बहर-ए-बे-कराँ वाले

किसी दिन गर्म बाज़ार-ए-अक़ीदत हो तो जाने दो

लगाएँगे मिरे सज्दों की क़ीमत आसमाँ वाले

अजल कहते हैं जिस को नाम है कमज़ोर ही दिल का

उसे ख़ातिर में क्यूँ लाएँ हयात-ए-जाविदाँ वाले

हमें 'तुरफ़ा' की लय से क्यूँ न हो इरफ़ान-ए-दिल हासिल

सुबुक नग़्मे सुनाते ही नहीं साज़-ए-गराँ वाले

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In Hindi By Famous Poet Turfa Qureshi. is written by Turfa Qureshi. Complete Poem in Hindi by Turfa Qureshi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.