त्रिपुरारि कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का त्रिपुरारि
नाम | त्रिपुरारि |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Tripurari |
जन्म की तारीख | 1986 |
जन्म स्थान | Mumbai |
ये बारिश कब रुकेगी कौन जाने
उम्र भर लड़ता रहा हूँ उस से
तुम मिरे पास न आओ कि यही बेहतर है
तुम जिसे चाँद कहते हो वो अस्ल में
शेर पढ़ते हुए ये तुम ने कभी सोचा है
रूह है तर्जुमा पानियों का अगर
क़त्ल करना है नए ख़्वाब का सो डरता हूँ
प्यास ऐसी थी कि मैं सारा समुंदर पी गया
नींद आए तो कुछ सुराग़ मिले
मोहब्बत में शिकायत कर रहा हूँ
मैं तिरे जिस्म के जब पार निकल जाऊँगा
मैं हासिल हो चुका हूँ जिस बदन को
मैं अपने दरमियाँ से हट चुका हूँ
कितनी दिलकश हैं ये बारिश की फुवारें लेकिन
किसी पर भी यक़ीं कर लेते हो तुम
कई लाशें हैं मुझ में दफ़्न या'नी
जिसे तुम ढूँडती रहती हो मुझ में
जिन से मिलना न हुआ उन से बिछड़ कर रोए
जब से गुज़रा है किसी हुस्न के बाज़ार से दिल
एक तस्वीर बनाई है ख़यालों ने अभी
एक किरदार नया रोज़ जिया करता हूँ
ऐ हवा तू ही उसे ईद-मुबारक कहियो
ज़िंदगानी का कोई बाब समझ लो लड़की
वो तो मिल कर भी नहीं मिलती है
उस ने ख़ुद फ़ोन पे ये मुझ से कहा अच्छा था
तजरबा जो भी है मेरा मैं वही लिखता हूँ
पुरानी चोट मैं कैसे दिखाऊँ
न जाने क्या कमी थी चाहतों में
मोहब्बत में शिकायत कर रहा हूँ
मैं ख़ुद अपना लहू पीने लगा हूँ