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Collection: जहर Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 17 - Darsaal

जहर Poetry (page 17)

जब अश्कों में सदाएँ ढल रही थीं

अम्बरीन सलाहुद्दीन

मुनाजात-ए-बेवा

अल्ताफ़ हुसैन हाली

कह दो कोई साक़ी से कि हम मरते हैं प्यासे

अल्ताफ़ हुसैन हाली

ज़ौक़ ओ शौक़

अल्लामा इक़बाल

साक़ी-नामा

अल्लामा इक़बाल

या रब ये जहान-ए-गुज़राँ ख़ूब है लेकिन

अल्लामा इक़बाल

रहा न हल्क़ा-ए-सूफ़ी में सोज़-ए-मुश्ताक़ी

अल्लामा इक़बाल

जुदा किया तो बहुत ही हँसी-ख़ुशी उस ने

अलीमुल्लाह हाली

बादलों के बीच था मैं बे-सर-ओ-सामाँ न था

अलीमुल्लाह हाली

गुफ़्तुगू (हिन्द पाक दोस्ती के नाम)

अली सरदार जाफ़री

बम्बई

अली सरदार जाफ़री

वो मिरी दोस्त वो हमदर्द वो ग़म-ख़्वार आँखें

अली सरदार जाफ़री

उसी के लिए

अली मोहम्मद फ़र्शी

गो वसीअ' सहरा में इक हक़ीर ज़र्रा हूँ

अली जव्वाद ज़ैदी

प्यासा ऊँट

अली अकबर नातिक़

पानी में भी प्यास का इतना ज़हर मिला है

अली अकबर अब्बास

जो ख़ुद को पाएँ तो फिर दूसरा तलाश करें

अली अकबर अब्बास

अँधेरी बस्तियाँ रौशन मनारे डूब जाएँगे

अली अकबर अब्बास

सिसकता चीख़ता एहसास था मिरे अंदर

अलीम सबा नवेदी

चले बज़्म-ए-दौराँ से जब ज़हर पी के

अलीम मसरूर

नए सिरे से कोई सफ़र आग़ाज़ नहीं करता

आलम ख़ुर्शीद

हर घर में कोई तह-ख़ाना होता है

आलम ख़ुर्शीद

सिलसिले हादसों के ध्यान में रख

अकमल इमाम

यादें

अख़्तर-उल-ईमान

सुकून

अख़्तर-उल-ईमान

राह-ए-फ़रार

अख़्तर-उल-ईमान

उन रस भरी आँखों में हया खेल रही है

अख़्तर शीरानी

एक शाएरा की शादी पर

अख़्तर शीरानी

ऐ इश्क़ हमें बर्बाद न कर

अख़्तर शीरानी

उन रस भरी आँखों में हया खेल रही है

अख़्तर शीरानी

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