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Collection: समय Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 35 - Darsaal

समय Poetry (page 35)

वादा उस माह-रू के आने का

अख़्तर शीरानी

कुछ तो तन्हाई की रातों में सहारा होता

अख़्तर शीरानी

ऐ दिल वो आशिक़ी के फ़साने किधर गए

अख़्तर शीरानी

कहाँ से लाएँगे आँसू अज़ा-दारी के मौसम में

अख़तर शाहजहाँपुरी

ज़िंदगी क्या हुए वो अपने ज़माने वाले

अख़्तर सईद ख़ान

ज़िंदगी क्या हुए वो अपने ज़माने वाले

अख़्तर सईद ख़ान

याद आएँ जो अय्याम-ए-बहाराँ तो किधर जाएँ

अख़्तर सईद ख़ान

वो भी क्या दिन थे क्या ज़माने थे

अख़्तर रज़ा सलीमी

तुम्हारे होने का शायद सुराग़ पाने लगे

अख़्तर रज़ा सलीमी

मक़ाम-ए-दिल बहुत ऊँचा बना है

अख़्तर ओरेनवी

कहाँ जाएँ छोड़ के हम उसे कोई और उस के सिवा भी है

अख़तर मुस्लिमी

हर बुत यहाँ टूटे हुए पत्थर की तरह है

अख़तर इमाम रिज़वी

उफ़ुक़ उफ़ुक़ नए सूरज निकलते रहते हैं

अख़्तर होशियारपुरी

तिलिस्म-ए-गुम्बद-ए-बे-दर किसी पे वा न हुआ

अख़्तर होशियारपुरी

दर्द की दौलत-ए-नायाब को रुस्वा न करो

अख़्तर होशियारपुरी

ये रंग-ओ-कैफ़ कहाँ था शबाब से पहले

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

नज़र से सफ़्हा-ए-आलम पे ख़ूनीं दास्ताँ लिखिए

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

कैफ़ियत क्या थी यहाँ आलम-ए-ग़म से पहले

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

ख़िज़ाँ में आग लगाओ बहार के दिन हैं

अख़्तर अंसारी

ग़म-ज़दा हैं मुब्तला-ए-दर्द हैं नाशाद हैं

अख़्तर अंसारी

जुस्तुजू ने तिरी हर चंद थका रक्खा है

अख़लाक़ बन्दवी

इतना भी नहीं करते इंकार चले आओ

अख़गर मुशताक़ रहीमाबादी

उस ख़ुश-अदा के आइना-ख़ाने में जाऊँगा

अकबर मासूम

रह-ए-गुमाँ से अजब कारवाँ गुज़रते हैं

अकबर हमीदी

रात आई है बच्चों को पढ़ाने में लगा हूँ

अकबर हमीदी

नाम 'अकबर' तो मिरा माँ की दुआ ने रक्खा

अकबर हमीदी

कहा था उस ने मोहब्बत की आबरू रखना

अकबर हमीदी

रक़ीबों ने रपट लिखवाई है जा जा के थाने में

अकबर इलाहाबादी

नाज़ क्या इस पे जो बदला है ज़माने ने तुम्हें

अकबर इलाहाबादी

लोग कहते हैं बदलता है ज़माना सब को

अकबर इलाहाबादी

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