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Collection: समय Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 1 - Darsaal

समय Poetry (page 1)

इक्कीसवीं सदी का इश्क़

मर्यम तस्लीम कियानी

मिरी याद तुम को भी आती तो होगी

क़लील झांसवी

वही मैं हूँ वही मेरी कहानी है

मोईन निज़ामी

चाँद-तारों ने कोई शय तो छुपाई हुई है

रश्मि सबा

बला-ए-तीरा-शबी का जवाब ले आए

अख़्तर सईद ख़ान

जिस के दिल में कोई अरमान नहीं होता है

अख़्तर आज़ाद

रो पड़ा ना-गहाँ मुस्कुराने के बा'द

अहमद अली बर्क़ी आज़मी

तिरी तलाश तिरी जुस्तुजू उतरती है

हनीफ़ राही

मौसम हो कोई याद के खे़मे नहीं उठते

वफ़ा नक़वी

ऐ लाहौर

जीलानी कामरान

मसीहा

फ़ाख़िरा बतूल

महाऋषि-स्वामी-दयानंद

चरख़ चिन्योटी

नूर अँधेरे की फ़सीलों पे सजा देता हूँ

कली की ख़ू है बहर-हाल मुस्कुराने की

किस के नग़्मे गूँजते हैं ज़िंदगी के साज़ में

हर वो हंगामा ना-गहाँ गुज़रा

सफ़र पे जैसे कोई घर से हो के जाता है

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

हम जाना चाहते थे जिधर भी नहीं गए

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

वो जिसे सारे ज़माने ने कहा मेरा रक़ीब

ज़ुहूर नज़र

रक्खा नहीं ग़ुर्बत ने किसी इक का भरम भी

ज़ुहूर नज़र

ख़ुद को पाने की तलब में आरज़ू उस की भी थी

ज़ुहूर नज़र

बादा-कश हूँ न पारसा हूँ मैं

ज़ुहैर कंजाही

तिरी तस्वीर उठाई हुई है

ज़ुबैर क़ैसर

वैसे तू मेरे मकाँ तक तू चला आता है

ज़ुबैर अली ताबिश

दर्द की धूप ढले ग़म के ज़माने जाएँ

ज़िया ज़मीर

जाँ का दुश्मन है मगर जान से प्यारा भी है

ज़िया ज़मीर

हँसते हँसते भी सोगवार हैं हम

ज़िया ज़मीर

दर्द की धूप ढले ग़म के ज़माने जाएँ

ज़िया ज़मीर

अब तो आते हैं सभी दिल को दुखाने वाले

ज़िया ज़मीर

गुमाँ था या तिरी ख़ुश्बू यक़ीन अब भी नहीं

ज़िया जालंधरी

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