यार Poetry (page 28)
ख़ुदा तू इतनी भी महरूमियाँ न तारी रख
इमरान हुसैन आज़ाद
मैं सच कहूँ पस-ए-दीवार झूट बोलते हैं
इमरान आमी
ज़बान-ए-हाल से हम शिकवा-ए-बेदाद करते हैं
इम्दाद इमाम असर
सूली चढ़े जो यार के क़द पर फ़िदा न हो
इम्दाद इमाम असर
सुब्ह-दम रोती जो तेरी बज़्म से जाती है शम्अ
इम्दाद इमाम असर
महफ़िल में उस पे रात जो तू मेहरबाँ न था
इम्दाद इमाम असर
क्यूँ देखिए न हुस्न-ए-ख़ुदा-दाद की तरफ़
इम्दाद इमाम असर
किसी का दिल को रहा इंतिज़ार सारी रात
इम्दाद इमाम असर
कब ग़ैर हुआ महव तिरी जल्वागरी का
इम्दाद इमाम असर
जब ख़ुदा को जहाँ बसाना था
इम्दाद इमाम असर
हुस्न की जिंस ख़रीदार लिए फिरती है
इम्दाद इमाम असर
ये क्या कहा मुझे ओ बद-ज़बाँ बहुत अच्छा
इमदाद अली बहर
वस्ल में ज़िक्र ग़ैर का न करो
इमदाद अली बहर
वक़्त-ए-आख़िर हमें दीदार दिखाया न गया
इमदाद अली बहर
वफ़ा में बराबर जिसे तोल लेंगे
इमदाद अली बहर
वफ़ा में बराबर जिसे तोल लेंगे
इमदाद अली बहर
तेरी हर इक बात है नश्तर न छेड़
इमदाद अली बहर
तारे गिनते रात कटती ही नहीं आती है नींद
इमदाद अली बहर
सीना-कूबी कर चुके ग़म कर चुके
इमदाद अली बहर
सीना-कूबी कर चुके ग़म कर चुके
इमदाद अली बहर
शोर है उस सब्ज़ा-ए-रुख़्सार का
इमदाद अली बहर
साक़ी तिरे बग़ैर है महफ़िल से दिल उचाट
इमदाद अली बहर
सैर उस सब्ज़ा-ए-आरिज़ की है दुश्वार बहुत
इमदाद अली बहर
सब हसीनों में वो प्यारा ख़ूब है
इमदाद अली बहर
मैं सियह-रू अपने ख़ालिक़ से जो ने'मत माँगता
इमदाद अली बहर
मैं गिला तुम से करूँ ऐ यार किस किस बात का
इमदाद अली बहर
कभी देखें जो रू-ए-यार दरख़्त
इमदाद अली बहर
जिस को चाहो तुम उस को भर दो
इमदाद अली बहर
जाते है ख़ानक़ाह से वाइज़ सलाम है
इमदाद अली बहर
जल्वा-ए-अर्बाब-ए-दुनिया देखिए
इमदाद अली बहर
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