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Collection: यार Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 11 - Darsaal

यार Poetry (page 11)

न इब्तिदा-ए-जुनूँ है न इंतिहा-ए-जुनूँ

सुहैल काकोरवी

हँस दिए ज़ख़्म-ए-जिगर जैसे कि गुल-हा-ए-बहार

सुहैल काकोरवी

जाँ तन का साथ दे न तो दिल ही वफ़ा करे

सुहैल अहमद ज़ैदी

किसी में ताब-ए-अलम नहीं है किसी में सोज़-ए-वफ़ा नहीं है

सूफ़ी तबस्सुम

हर ज़र्रा उभर के कह रहा है

सूफ़ी तबस्सुम

शौक़ रातों को है दरपय कि तपाँ हो जाऊँ

सिराजुद्दीन ज़फ़र

शौक़ रातों को है दर पे कि तपाँ हो जाऊँ

सिराजुद्दीन ज़फ़र

हम आहुवान-ए-शब का भरम खोलते रहे

सिराजुद्दीन ज़फ़र

बग़ैर-ए-साग़र-ओ-यार-ए-जवाँ नहीं गुज़रे

सिराजुद्दीन ज़फ़र

बग़ैर साग़र ओ यार-ए-जवाँ नहीं गुज़रे

सिराजुद्दीन ज़फ़र

निगाह-ए-यार यूँही और चंद पैमाने

सिराज लखनवी

मिला-दिला सही इक ख़ुश्क हार बाक़ी है

सिराज लखनवी

ख़याल-ए-दोस्त न मैं याद-ए-यार में गुम हूँ

सिराज लखनवी

फ़ितरत-ए-इश्क़ गुनहगार हुई जाती है

सिराज लखनवी

ज़िंदगानी दर्द-ए-सर है यार बिन

सिराज औरंगाबादी

रोज़ा-दारान-ए-जुदाई कूँ ख़म-ए-अबरू-ए-यार

सिराज औरंगाबादी

नींद सीं खुल गईं मिरी आँखें सो देखा यार कूँ

सिराज औरंगाबादी

नज़र-ए-तग़ाफ़ुल-ए-यार का गिला किस ज़बाँ सीं करूँ बयाँ

सिराज औरंगाबादी

मकतब-ए-इश्क़ का मोअल्लिम हूँ

सिराज औरंगाबादी

क्यूँकि होवे ज़ाहिद ख़ुद-बीं मुरीद-ए-ज़ुल्फ़-ए-यार

सिराज औरंगाबादी

हिज्र की रातों में लाज़िम है बयान-ए-ज़ुल्फ़-ए-यार

सिराज औरंगाबादी

देखा है जिस ने यार के रुख़्सार की तरफ़

सिराज औरंगाबादी

ऐ नसीम-ए-सहरी बू-ए-मोहब्बत ले आ

सिराज औरंगाबादी

ज़ुल्फ़-ए-मुश्कीन-ए-यार क़हरी है

सिराज औरंगाबादी

ज़ालिम मिरे जिगर कूँ करे क्यूँ न फाँक फाँक

सिराज औरंगाबादी

या-रब कहाँ गया है वो सर्व-ए-शोख़-रा'ना

सिराज औरंगाबादी

यक निगह सें लिया है वो गुलफ़ाम

सिराज औरंगाबादी

सीना-साफ़ी की है जिसे ऐनक

सिराज औरंगाबादी

सर्व-ए-गुलशन पर सुख़न उस क़द का बाला हो गया

सिराज औरंगाबादी

सनम जब चीरा-ए-ज़र-तार बाँधे

सिराज औरंगाबादी

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