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Collection: यार Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 10 - Darsaal

यार Poetry (page 10)

बाँहों में यार हो, कोई फ़ुर्सत की शाम हो

सय्यद काशिफ़ रज़ा

ज़रा न हम पे किया ए'तिबार गुज़री है

सय्यद हामिद

आँख जो इश्वा-ए-पुर-कार लिए फिरती है

सय्यद हामिद

बक रहा हूँ आज कल हिज़यान बाक़ी ख़ैर है

सय्यद फ़हीमुद्दीन

पहले से देखना कहीं बेहतर बनाएँगे

सय्यद अमीनुल हसन मोहानी बिस्मिल

न जाने जाए कहाँ तक ये सिलसिला दिल का

सय्यद अमीन अशरफ़

वो बुत मुब्तला-तलब मेहर-तलब वफ़ा-तलब

सय्यद अाग़ा अली महर

वो बज़्म-ए-ग़ैर में बा-सद-वक़ार बैठे हैं

सय्यद अाग़ा अली महर

सीने में आग आँख सू-ए-दर लगी रहे

सय्यद अाग़ा अली महर

साक़िया हो गर्मी-ए-सोहबत ज़रा बरसात में

सय्यद अाग़ा अली महर

ये हादिसा भी हुआ है कि इश्क़-ए-यार की याद

सय्यद आबिद अली आबिद

जल्वा-ए-यार से क्या शिकवा-ए-बेजा कीजे

सय्यद आबिद अली आबिद

ऐ इल्तिफ़ात-ए-यार मुझे सोचने तो दे

सय्यद आबिद अली आबिद

ये क्या तिलिस्म है दुनिया पे बार गुज़री है

सय्यद आबिद अली आबिद

सब के जल्वे नज़र से गुज़रे हैं

सय्यद आबिद अली आबिद

हम बिन ग़म-ए-यार भी जिए हैं

सय्यद आबिद अली आबिद

गुलों की ख़ूँ-शुदगी को शगुफ़्तगी न समझ

सय्यद आबिद अली आबिद

ग़म-ए-दौराँ ग़म-ए-जानाँ का निशाँ है कि जो था

सय्यद आबिद अली आबिद

गर्दिश-ए-जाम नहीं रुक सकती

सय्यद आबिद अली आबिद

दिल है आईना-ए-हैरत से दो-चार आज की रात

सय्यद आबिद अली आबिद

आई सहर क़रीब तो मैं ने पढ़ी ग़ज़ल

सय्यद आबिद अली आबिद

वो लौट आई है ऑफ़िस से हिज्र ख़त्म हुआ

स्वप्निल तिवारी

कभी अपने इश्क़ पे तब्सिरे कभी तज़्किरे रुख़-ए-यार के

सुरूर बाराबंकवी

चमन में लाला-ओ-गुल पर निखार भी तो नहीं

सुरूर बाराबंकवी

ऐ जुनूँ कुछ तो खुले आख़िर मैं किस मंज़िल में हूँ

सुरूर बाराबंकवी

हिसाब-ए-उम्र करो या हिसाब-ए-जाम करो

सुलैमान अरीब

भेस क्या क्या न ज़माने में बनाए हम ने

सुलैमान अरीब

ज़ौक़ पे शौक़ पे मिट जाने को तय्यार उठा

सुलैमान अहमद मानी

तुझे क्या हुआ है बता ऐ दिल न सुकून है न क़रार है

सुलैमान अहमद मानी

क्यूँ और ज़ख़्म सीने पे खाओ हो दोस्तो

सुलैमान अहमद मानी

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