समय Poetry (page 9)

आइने के रू-ब-रू इक आइना रखता हूँ मैं

तौसीफ ताबिश

ये किस से आज बरहम हो गई है

तिलोकचंद महरूम

वो आई शाम-ए-ग़म वक़्फ़-ए-बला होने का वक़्त आया

तिलोकचंद महरूम

ख़ुदा से वक़्त-ए-दुआ हम सवाल कर बैठे

तिलोकचंद महरूम

हमारे वास्ते है एक जीना और मर जाना

तिलोकचंद महरूम

दिल था पहलू में तो कहते थे तमन्ना क्या है

तौसीफ़ तबस्सुम

याद और ग़म की रिवायात से निकला हुआ है

तौक़ीर तक़ी

सूरत-ए-इश्क़ बदलता नहीं तू भी मैं भी

तौक़ीर तक़ी

ख़ाक होती हुई हस्ती से उठा

तौक़ीर तक़ी

हुए हो किस लिए बरहम अज़ीज़म

तसनीम आबिदी

'तस्कीं' ने नाम ले के तिरा वक़्त-ए-मर्ग आह

मीर तस्कीन देहलवी

जिस वक़्त नज़र पड़ती है उस शोख़ पे 'तस्कीं'

मीर तस्कीन देहलवी

तुम ग़ैर से मिलो न मिलो मैं तो छोड़ दूँ

मीर तस्कीन देहलवी

बे-मेहर कहते हो उसे जो बेवफ़ा नहीं

मीर तस्कीन देहलवी

अच्छे हैं फ़ासले के ये तारे सजाते हैं

तासीर सिद्दीक़ी

लफ़्ज़ दे मुझे कुछ तो

तारिक़ शाहिद

आज इस वक़्त वो जब याद आया

तारिक़ राशीद दरवेश

हवा रुकी है तो रक़्स-ए-शरर भी ख़त्म हुआ

तारिक़ क़मर

पाँव जब हो गए पत्थर तो सदा दी उस ने

तारिक़ क़मर

यहाँ के लोग हैं बस अपने ही ख़याल में गुम

तारिक़ मतीन

घर में बैठूँ तो शनासाई बुरा मानती है

तारिक़ मतीन

अपने दुखों का हम ने तमाशा नहीं किया

तारिक़ मतीन

माँगने से तो हुकूमत नहीं मिलने वाली

तनवीर गौहर

तिरी चाल धुन तिरी साँस सुर मिरे दिल को आ के सँभाल भी

तनवीर मोनिस

पहले मौसम के बा'द

तनवीर अंजुम

हम दोनों में से एक

तनवीर अंजुम

हमें वो क्यूँ याद आ रहे हैं

तनवीर अंजुम

तरीक़ कोई न आया मुझे ज़माने का

तनवीर अंजुम

क्या ज़रूरी है कोई बे-सबब आज़ार भी हो

तनवीर अहमद अल्वी

ख़्वाब तो ख़्वाब है ता'बीर बदल जाती है

तनवीर अहमद अल्वी

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