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Collection: समय Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 74 - Darsaal

समय Poetry (page 74)

राह भोला हूँ मगर ये मिरी ख़ामी तो नहीं

अफ़ज़ल ख़ान

आदमी ख़्वार भी होता है नहीं भी होता

अफ़ज़ल ख़ान

शाइरी मैं ने ईजाद की

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद

मोहब्बत

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद

जिस का कोई इंतिज़ार न कर रहा हो

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद

जंगल के पास एक औरत

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद

हमें भूल जाना चाहिए

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद

अगर हम गीत न गाते

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद

शिकस्त

आफ़ताब शम्सी

हिजरत

आफ़ताब शम्सी

गुज़रते लम्हों का मातम

आफ़ताब शम्सी

दीवार-ए-चीन

आफ़ताब इक़बाल शमीम

ये जो ठहरा हुआ मंज़र है बदलता ही नहीं

आफ़ताब इक़बाल शमीम

वो आसमाँ के दरख़शिंदा राहियोँ जैसा

आफ़ताब इक़बाल शमीम

वैसे तो बहुत धोया गया घर का अंधेरा

आफ़ताब इक़बाल शमीम

हाँ उसी दिन धूप में हरियालियाँ शामिल हुईं

आफ़ताब इक़बाल शमीम

असीर-ए-हाफ़िज़ा हो आज के जहान में आओ

आफ़ताब इक़बाल शमीम

निगाह के लिए इक ख़्वाब भी ग़नीमत है

आफ़ताब हुसैन

कमी रखता हूँ अपने काम की तकमील में

आफ़ताब हुसैन

गुज़रते वक़्त की कोई निशानी साथ रखता हूँ

आफ़ताब हुसैन

गए मंज़रों से ये क्या उड़ा है निगाह में

आफ़ताब हुसैन

अपना दीवाना बना कर ले जाए

आफ़ताब हुसैन

शब को पाज़ेब की झंकार सी आ जाती है

अफ़सर माहपुरी

कुछ भी नहीं जो याद-ए-बुतान-ए-हसीं नहीं

अफ़सर इलाहाबादी

शबनम की तरह सुब्ह की आँखों में पड़ा है

अफ़रोज़ आलम

गुज़रे लम्हात का एहसास हुआ जाता है

अफ़रोज़ आलम

हुदूद-ए-वक़्त से बाहर अजब हिसार में हूँ

आदिल मंसूरी

सियाह चाँद के टुकड़ों को मैं चबा जाऊँ

आदिल मंसूरी

सातवीं पिसली में पीली चाँदनी

आदिल मंसूरी

नज़्म

आदिल मंसूरी

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