समय Poetry (page 69)

दिल में टीसें जाग उठती हैं पहलू बदलते वक़्त बहुत

अख्तर लख़नवी

अब दर्द का सूरज कभी ढलता ही नहीं है

अख्तर लख़नवी

जो संग हो के मुलाएम है सादगी की तरह

अख़तर इमाम रिज़वी

हर बुत यहाँ टूटे हुए पत्थर की तरह है

अख़तर इमाम रिज़वी

न जाने लोग ठहरते हैं वक़्त-ए-शाम कहाँ

अख़्तर होशियारपुरी

गुज़रते वक़्त ने क्या क्या न चारा-साज़ी की

अख़्तर होशियारपुरी

वो रतजगा था कि अफ़्सून-ए-ख़्वाब तारी था

अख़्तर होशियारपुरी

उफ़ुक़ उफ़ुक़ नए सूरज निकलते रहते हैं

अख़्तर होशियारपुरी

तिलिस्म-ए-गुम्बद-ए-बे-दर किसी पे वा न हुआ

अख़्तर होशियारपुरी

शराब आए तो कैफ़-ओ-असर की बात करो

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

ख़िज़ाँ में आग लगाओ बहार के दिन हैं

अख़्तर अंसारी

जाँ-सिपारी के भी अरमाँ ज़िंदगी की आस भी

अख़्तर अंसारी

हर वक़्त नौहा-ख़्वाँ सी रहती हैं मेरी आँखें

अख़्तर अंसारी

इधर चराग़ जल गए उधर चराग़ जल गए

अख़लाक़ बन्दवी

मक़्तल

अख़लाक़ अहमद आहन

हम आज बज़्म-ए-रक़ीबाँ से सुर्ख़-रू आए

अख़लाक़ अहमद आहन

अकेले अकेले ही पा ली रिहाई

अख़लाक़ अहमद आहन

काग़ज़ प हर्फ़ हर्फ़ निखर जाना चाहिए

अखिलेश तिवारी

ख़ुद नज़ारों पे नज़ारों को हँसी आती है

अख़गर मुशताक़ रहीमाबादी

अब भी अक्सर ध्यान तुम्हारा आता है

अकबर मासूम

नए ख़ौफ़ का आज़ार

अकबर हैदराबादी

हर्फ़-ए-यक़ीं

अकबर हैदराबादी

निगह-ए-शौक़ से हुस्न-ए-गुल-ओ-गुलज़ार तो देख

अकबर हैदराबादी

दिल है न निशान बे-दिली का

अकबर हुसैन मोहानी इबरत

तमाम आलम-ए-इम्काँ मिरे गुमान में है

अकबर हमीदी

रह-ए-गुमाँ से अजब कारवाँ गुज़रते हैं

अकबर हमीदी

कहा था उस ने मोहब्बत की आबरू रखना

अकबर हमीदी

जो वक़्त-ए-ख़त्ना मैं चीख़ा तो नाई ने कहा हँस कर

अकबर इलाहाबादी

दिल वो है कि फ़रियाद से लबरेज़ है हर वक़्त

अकबर इलाहाबादी

बर्क़-ए-कलीसा

अकबर इलाहाबादी

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