समय Poetry (page 63)

ब'अद-अज़-मर्ग

अनवर सेन रॉय

वो पर्दे से निकल कर सामने जब बे-हिजाब आया

अनवर सहारनपुरी

आबाद अब न होगा मय-ख़ाना ज़िंदगी का

अनवर सहारनपुरी

कासा-लेसों ने जो थी नज़्र उतारी तेरी

अनवर सदीद

शेर-ओ-सुख़न की उस महफ़िल में सब से छोटे हम ही थे

अनवर नदीम

रुख़ से पर्दा उठा दे ज़रा साक़िया बस अभी रंग-ए-महफ़िल बदल जाएगा

अनवर मिर्ज़ापुरी

मैं तो समझा था जिस वक़्त मुझ को वो मिलेंगे तो जन्नत मिलेगी

अनवर मिर्ज़ापुरी

हर मंज़र-ए-ख़ुश-रंग सुलग जाए तो क्या हो

अनवर मीनाई

मस्जिद का ये माइक जो उठा लाए हो ऐ 'अनवर'

अनवर मसूद

इस वक़्त वहाँ कौन धुआँ देखने जाए

अनवर मसूद

मेरी पहली नज़्म

अनवर मसूद

पढ़ने भी न पाए थे कि वो मिट भी गई थी

अनवर मसूद

पढ़ने भी न पाए थे कि वो मिट भी गई थी

अनवर मसूद

मगर मेरी आँखों में

अनवर मक़सूद ज़ाहिदी

दूसरे सायरन से पहले

अनवर मक़सूद ज़ाहिदी

मुसलसल धूप में चलना चराग़ों की तरह जलना

अनवर जलालपुरी

पराया कौन है और कौन अपना सब भुला देंगे

अनवर जलालपुरी

है भी और फिर नज़र नहीं आती

अनवर देहलवी

देखा जो मर्ग तो मरना ज़ियाँ न था

अनवर देहलवी

अब अपना हाल हम उन्हें तहरीर कर चुके

अनवर देहलवी

हयात-ए-राएगाँ है और मैं हूँ

अंजुम सिद्दीक़ी

बे-मसरफ़ रिश्तों की फ़राग़त

अंजुम सलीमी

उसे छूते हुए भी डर रहा था

अंजुम सलीमी

जब भी कोई बात की आँसू ढलके साथ

अंजुम रूमानी

हम से भी गाहे गाहे मुलाक़ात चाहिए

अंजुम रूमानी

हर चंद उन्हें अहद फ़रामोश न होगा

अंजुम रूमानी

तुम को भुला रही थी कि तुम याद आ गए

अंजुम रहबर

वाइ'ज़ की कड़वी बातों को कब ध्यान में अपने लाते हैं

अंजुम मानपुरी

जाने किस की आहट का इंतिज़ार करता है

अंजुम लुधियानवी

हम सा दीवाना कहाँ मिल पाएगा इस दहर में

अंजुम लुधियानवी

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