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Collection: समय Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 60 - Darsaal

समय Poetry (page 60)

सुनता रहा है और सुनेगा जहाँ मुझे

असरारुल हक़ असरार

बिजली हुई फ़ेल

असरार जामई

उदास आँखें ग़ज़ाल आँखें

असरा रिज़वी

तू अपने शहर-ए-तरब से न पूछ हाल मिरा

असलम महमूद

न मलाल-ए-हिज्र न मुंतज़िर हैं हवा-ए-शाम-ए-विसाल के

असलम महमूद

मैं एक रेत का पैकर था और बिखर भी गया

असलम महमूद

क्यूँ मुझ से गुरेज़ाँ है मैं तेरा मुक़द्दर हूँ

असलम महमूद

सामने शाह-ए-वक़्त के 'असलम' कौन कहे ये बात

असलम हनीफ़

कोई गुलाब यहाँ पर खिला के देखते हैं

असलम हबीब

ज़द पे आ जाएगा जो कोई तो मर जाएगा

असलम फ़र्रुख़ी

वो शब-ए-ग़म जो कम अँधेरी थी

असलम इमादी

ज़हर

असलम आज़ाद

हमारी याद उन्हें आ गई तो क्या होगा

असलम आज़ाद

आँखों से मैं ने चख लिया मौसम के ज़हर को

असलम आज़ाद

ज़ख़्म खा के भी मुस्कुराते हैं

आसिमा ताहिर

वक़्त बे-वक़्त झलकता है मिरी सूरत से

आसिम वास्ती

वक़्त बे-वक़्त ये पोशाक मिरी ताक में है

आसिम वास्ती

मिस्र फ़िरऔन की तहवील में आया हुआ है

आसिम वास्ती

बनाई है तिरी तस्वीर मैं ने डरते हुए

आसिम वास्ती

उम्र सारी तिरी चाहत में बितानी पड़ जाए

अासिफ़ शफ़ी

कार-ए-दुनिया से गए दीदा-ए-बेदार के साथ

अासिफ़ शफ़ी

जमाल-ए-यार को तस्वीर करने वाले थे

अासिफ़ शफ़ी

निकली वो ज़िंदगी से तो पामाल हो गया

अशरफ़ शाद

ख़ून आँखों से निकलता ही रहा

अशरफ़ अली फ़ुग़ाँ

यतीम इंसाफ़

अशोक लाल

परिक्रमा तवाफ़

अशोक लाल

उठाओ संग कि हम में सनक बहुत है अभी

अशफ़ाक़ अंजुम

गिरती है तो गिर जाए ये दीवार-ए-सुकूँ भी

अशफ़ाक़ हुसैन

कोई छोटा यहाँ कोई बड़ा है

असग़र वेलोरी

एक फ़ित्ना सा उठाया है चला जाएगा

असग़र वेलोरी

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