समय Poetry (page 52)

रक़म करने कूँ वस्फ़-ए-ज़ुल्फ़-ए-दिलदार

दाऊद औरंगाबादी

उस शकर-लब का मैं ख़याली हूँ

दाऊद औरंगाबादी

सीना साफ़ी सूँ मिस्ल-ए-दर्पन कर

दाऊद औरंगाबादी

दर्पन दिया हूँ दिल का मैं उस दिलरुबा के हाथ

दाऊद औरंगाबादी

आतिश-ए-इश्क़ सूँ जो जलता है

दाऊद औरंगाबादी

लुत्फ़ हो हश्र में कुछ बात बनाए न बने

दत्तात्रिया कैफ़ी

फ़िदा अल्लाह की ख़िल्क़त पे जिस का जिस्म ओ जाँ होगा

दत्तात्रिया कैफ़ी

ये किस ने कह दिया आख़िर कि छुप-छुपा के पियो

दर्शन सिंह

राज़-ए-निहाँ थी ज़िंदगी राज़-ए-निहाँ है आज भी

दर्शन सिंह

चश्म-ए-बीना हो तो क़ैद-ए-हरम-ओ-तूर नहीं

दर्शन सिंह

वाए नादानी कि वक़्त-ए-मर्ग ये साबित हुआ

ख़्वाजा मीर 'दर्द'

मदरसा या दैर था या काबा या बुत-ख़ाना था

ख़्वाजा मीर 'दर्द'

मदरसा या दैर था या काबा या बुत-ख़ाना था

ख़्वाजा मीर 'दर्द'

तमन्ना का दूसरा क़दम

दानियाल तरीर

उजाला ही उजाला रौशनी ही रौशनी है

दानियाल तरीर

मिट्टी था और दूध में गूँधा गया मुझे

दानियाल तरीर

अजब रंग-ए-तिलस्म-ओ-तर्ज़-ए-नौ है

दानियाल तरीर

आख़िरी वक़्त तलक साथ अंधेरों ने दिया

दानिश अलीगढ़ी

ज़िंदगी कर गई तूफ़ाँ के हवाले मुझ को

दानिश अलीगढ़ी

ज़र्रे ज़र्रे में महक प्यार की डाली जाए

दानिश अलीगढ़ी

वो दिन गए कि 'दाग़' थी हर दम बुतों की याद

दाग़ देहलवी

मुअज़्ज़िन ने शब-ए-वस्ल अज़ाँ पिछले पहर

दाग़ देहलवी

दी शब-ए-वस्ल मोअज़्ज़िन ने अज़ाँ पिछली रात

दाग़ देहलवी

आओ मिल जाओ कि ये वक़्त न पाओगे कभी

दाग़ देहलवी

उस से क्या ख़ाक हम-नशीं बनती

दाग़ देहलवी

तुम्हारे ख़त में नया इक सलाम किस का था

दाग़ देहलवी

सब लोग जिधर वो हैं उधर देख रहे हैं

दाग़ देहलवी

मिलाते हो उसी को ख़ाक में जो दिल से मिलता है

दाग़ देहलवी

ले चला जान मिरी रूठ के जाना तेरा

दाग़ देहलवी

कौन सा ताइर-ए-गुम-गश्ता उसे याद आया

दाग़ देहलवी

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