समय Poetry (page 48)

बहुत ज़मीन बहुत आसमाँ मिलेंगे तुम्हें

फ़रहत एहसास

बहुत सी आँखें लगीं हैं और एक ख़्वाब तय्यार हो रहा है

फ़रहत एहसास

अब दिल की तरफ़ दर्द की यलग़ार बहुत है

फ़रहत एहसास

मौत का वक़्त गुज़र जाएगा

फ़रहत अब्बास शाह

हम जिसे समझते थे सई-ए-राएगाँ यारो

फ़रीद जावेद

यक़ीन

फ़रीद इशरती

काग़ज़ के फूल

फ़रीद इशरती

मिरे हम-रक़्स साए को बिल-आख़िर यूँही ढलना था

फ़रह इक़बाल

यारो हुदूद-ए-ग़म से गुज़रने लगा हूँ मैं

फ़राग़ रोहवी

फटी मश्कें लिए दिन-रात दरिया देखने वाले

फ़क़ीह हैदर

ज़ब्त अपना शिआर था न रहा

फ़ानी बदायुनी

मेरे लब पर कोई दुआ ही नहीं

फ़ानी बदायुनी

जब पुर्सिश-ए-हाल वो फ़रमाते हैं जानिए क्या हो जाता है

फ़ानी बदायुनी

बे-अजल काम न अपना किसी उनवाँ निकला

फ़ानी बदायुनी

दुनिया पे ऐसा वक़्त पड़ेगा कि एक दिन

फ़ना निज़ामी कानपुरी

डूबने वाले की मय्यत पर लाखों रोने वाले हैं

फ़ना निज़ामी कानपुरी

दिल से अगर कभी तिरा अरमान जाएगा

फ़ना निज़ामी कानपुरी

उन के जल्वों पे हमा-वक़्त नज़र होती है

फ़ना बुलंदशहरी

माइल-ब-करम मुझ पर हो जाएँ तो अच्छा हो

फ़ना बुलंदशहरी

है वज्ह कोई ख़ास मिरी आँख जो नम है

फ़ना बुलंदशहरी

बा-होश वही हैं दीवाने उल्फ़त में जो ऐसा करते हैं

फ़ना बुलंदशहरी

ऐ सनम देर न कर अंजुमन-आरा हो जा

फ़ना बुलंदशहरी

आँखों में नमी आई चेहरे पे मलाल आया

फ़ना बुलंदशहरी

तलाश

फख्र ज़मान

लम्हों का भँवर चीर के इंसान बना हूँ

फख्र ज़मान

जो धूप की तपती हुई साँसों से बची सोच

फख्र ज़मान

रेशम ज़ुल्फ़ के तार भी बातें करते हैं

फख़्र अब्बास

कुछ ज़िंदगी में लुत्फ़ का सामाँ नहीं रहा

फ़ैज़ी निज़ाम पुरी

मिरे वजूद को मौजूदगी दिखाती थी

फ़ैज़ान हाशमी

इसी जहाज़ के सहरा में डूब जाने की

फ़ैज़ान हाशमी

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