समय Poetry (page 18)

वो एक शख़्स मिरे पास जो रहा भी नहीं

शमीम अब्बास

उम्र गुज़र जाती है क़िस्से रह जाते हैं

शमीम अब्बास

कितनी मुश्किल से ग़म-ए-दोस्त बयाँ होता है

शकूर जावेद

तन्हाई का ग़म ढोएँ और रो रो जी हलकान करें

शाकिर ख़लीक़

भुगत रहा हूँ ख़ुद अपने किए का ख़म्याज़ा

शाकिर ख़लीक़

जो शख़्स मुद्दतों मिरे शैदाइयों में था

शकीला बानो

तेरी नज़र के सामने ये दिल नहीं रहा

शकील शम्सी

मुझ को तिरे सुलूक से कोई गिला न था

शकील शम्सी

फूल से लोगों को मिट्टी में मिला कर आएगी

शकील सरोश

ज़ात का गहरा अंधेरा है बिखर जा मुझ में

शकील मज़हरी

शाम मिरी कमज़ोरी है

शकील जाज़िब

हर नक़्श अधूरा है

शकील जाज़िब

कुछ लोग हैं जो झेल रहे हैं मुसीबतें

शकील जमाली

थोड़ा सा माहौल बनाना होता है

शकील जमाली

पेट की आग बुझाने का सबब कर रहे हैं

शकील जमाली

चाहत की लौ को मद्धम कर देता है

शकील जमाली

अल्फ़ाज़ नर्म हो गए लहजे बदल गए

शकील जमाली

आवाज़ों के जाल बिछाए जाते हैं

शकील ग्वालिआरी

वो हवा दे रहे हैं दामन की

शकील बदायुनी

उन से उम्मीद-ए-रू-नुमाई है

शकील बदायुनी

न पैमाने खनकते हैं न दौर-ए-जाम चलता है

शकील बदायुनी

मौसम-ए-गुल साथ ले कर बर्क़ ओ दाम आ ही गया

शकील बदायुनी

लुत्फ़-ए-निगाह-ए-नाज़ की तोहमत उठाए कौन

शकील बदायुनी

कहीं हुस्न का तक़ाज़ा कहीं वक़्त के इशारे

शकील बदायुनी

जादा-ए-इश्क़ में गिर गिर के सँभलते रहना

शकील बदायुनी

गुलशन हो निगाहों में तो जन्नत न समझना

शकील बदायुनी

ग़म-ए-इश्क़ रह गया है ग़म-ए-जुस्तुजू में ढल कर

शकील बदायुनी

बहार आई किसी का सामना करने का वक़्त आया

शकील बदायुनी

अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे

शकील बदायुनी

आख़िरी वक़्त है आख़िरी साँस है ज़िंदगी की है शाम आख़िरी आख़िरी

शकील बदायुनी

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