समय Poetry (page 10)

अजीब शख़्स है पत्थर से पर बनाता है

तनवीर अहमद अल्वी

अभी तो आँखों में ना-दीदा ख़्वाब बाक़ी हैं

तनवीर अहमद अल्वी

माल-ओ-ज़र की क़द्र क्या ख़ून-ए-जिगर के सामने

तालिब हुसैन तालिब

ग़म-ए-जहाँ में ग़म-ए-यार ज़म न कर पाया

तालिब हुसैन तालिब

फिर क़िस्सा-ए-शब लिख देने के ये दिल हालात बनाए है

तालीफ़ हैदर

न बे-कली का हुनर है न जाँ-फ़ज़ाई का

तालीफ़ हैदर

जी में आता है कि चल कर जंगलों में जा रहें

ताज सईद

वो कम-सुख़न न था पर बात सोच कर करता

तैमूर हसन

किसे ख़बर है कि उम्र बस उस पे ग़ौर करने में कट रही है

तहज़ीब हाफ़ी

सतह-ए-दरिया का ये सफ़्फ़ाक सुकूँ है धोका

तहसीन फ़िराक़ी

ला-यख़ुल

तहसीन फ़िराक़ी

मुझ सा अंजान किसी मोड़ पे खो सकता है

तहसीन फ़िराक़ी

इसे मैं और ये मेरा असा ही तय करेगा

तहसीन फ़िराक़ी

मिल के लगा है आज ज़माने ठहर गए

ताहिरा जबीन तारा

काग़ज़ पे तेरा नक़्श उतारा नहीं गया

ताहिरा जबीन तारा

में न कहता था कि शहरों में न जा यार मिरे

ताहिर फ़राज़

जब मिरे होंटों पे मेरी तिश्नगी रह जाएगी

ताहिर फ़राज़

अब के बरस होंटों से मेरे तिश्ना-लबी भी ख़त्म हुइ

ताहिर फ़राज़

शहर को चोट पे रखती है गजर में कोई चीज़

तफ़ज़ील अहमद

ये शहर आफ़तों से तो ख़ाली कोई न था

ताबिश कमाल

मंज़िलों से बेगाना आज भी सफ़र मेरा

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

एक तुम ही नहीं दुनिया में जफ़ाकार बहुत

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

दौर-ए-तूफ़ाँ में भी जी लेते हैं जीने वाले

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

क्या करें क्यूँ-कर रहें दुनिया में यारो हम ख़ुशी

ताबाँ अब्दुल हई

एक ही जाम को पिला साक़ी

ताबाँ अब्दुल हई

देख उस को ख़्वाब में जब आँख खुल जाती है सुब्ह

ताबाँ अब्दुल हई

यूँ तो इख़्लास में इस के कोई धोका भी नहीं

सय्यदा शान-ए-मेराज

मुझ में आ कर ठहर गया कोई

सय्यदा नफ़ीस बानो शम्अ

पुरानी मोटर

सय्यद ज़मीर जाफ़री

अपनी ख़बर नहीं है ब-जुज़ इस क़दर मुझे

सय्यद ज़मीर जाफ़री

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