विसाल Poetry (page 15)

नफ़स की आमद-ओ-शुद को वबाल कर के भी

आरिफ़ इमाम

कुछ ऐसे ज़ख़्म-ए-ज़माना का इंदिमाल किया

आरिफ़ इमाम

हालत-ए-हर्फ़ किस ने जानी है

आरिफ़ इमाम

और न दर-ब-दर फिरा और न आज़मा मुझे

अनवर शऊर

दम-ए-विसाल तिरी आँच इस तरह आई

अनवर सदीद

तलाश जिस को मैं करता फिरा ख़राबों में

अनवर सदीद

नाकामी-ए-विसाल का पैग़ाम है मुझे

अनवर देहलवी

यूसुफ़-ए-हुस्न का हुस्न आप ख़रीदार रहा

अनवर देहलवी

अब अपना हाल हम उन्हें तहरीर कर चुके

अनवर देहलवी

हुआ करे अगर उस को कोई गिला होगा

अनवर अंजुम

हुआ करे अगर उस को कोई गिला होगा

अनवर अंजुम

कुछ तो खिंची खिंची सी थी साअत विसाल की

अंजुम सलीमी

ख़्वाब शर्मिंदा-ए-विसाल हुआ

अंजुम सलीमी

विसाल की तीसरी सम्त

अंजुम सलीमी

हिसाब-ए-जाँ!!

अंजुम सलीमी

गिर्या

अंजुम सलीमी

एक और मुुहब्बत....

अंजुम सलीमी

काग़ज़ था मैं दिए पे मुझे रख दिया गया

अंजुम सलीमी

हम अपने ज़ौक़-ए-सफ़र को सफ़र सितारा करें

अंजुम ख़लीक़

पेच-ओ-ताब

अमजद नजमी

उन के वा'दों का हाल क्या कहिए

अमजद नजमी

जाएँ कहाँ हम आप का अरमाँ लिए हुए

अमजद नजमी

समुंदर आसमान और मैं

अमजद इस्लाम अमजद

लहू में तैरते फिरते मलाल से कुछ हैं

अमजद इस्लाम अमजद

कमाल-ए-हुस्न है हुस्न-ए-कमाल से बाहर

अमजद इस्लाम अमजद

कहाँ आ के रुकने थे रास्ते कहाँ मोड़ था उसे भूल जा

अमजद इस्लाम अमजद

शब-ए-विसाल बहुत कम है आसमाँ से कहो

अमीर मीनाई

रहा ख़्वाब में उन से शब भर विसाल

अमीर मीनाई

देख ले बुलबुल ओ परवाना की बेताबी को

अमीर मीनाई

या-रब शब-ए-विसाल ये कैसा गजर बजा

अमीर मीनाई

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