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Collection: तेग Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 10 - Darsaal

तेग Poetry (page 10)

तेरा क्या जाता जो मिलता जाम-ए-रेहानी मुझे

धनपत राय थापर राज़

मुझ साथ सैर-ए-बाग़ कूँ ऐ नौ-बहार चल

दाऊद औरंगाबादी

देख लटका सजन तेरी लट का

दाऊद औरंगाबादी

दर्पन दिया हूँ दिल का मैं उस दिलरुबा के हाथ

दाऊद औरंगाबादी

पर्दा-दार हस्ती थी ज़ात के समुंदर में

दत्तात्रिया कैफ़ी

ज़ाहिद न कह बुरी कि ये मस्ताने आदमी हैं

दाग़ देहलवी

मुमकिन नहीं कि तेरी मोहब्बत की बू न हो

दाग़ देहलवी

जो हो सकता है उस से वो किसी से हो नहीं सकता

दाग़ देहलवी

ग़ज़ब किया तिरे वअ'दे पे ए'तिबार किया

दाग़ देहलवी

देख कर जौबन तिरा किस किस को हैरानी हुई

दाग़ देहलवी

रामायण का एक सीन

चकबस्त ब्रिज नारायण

उठा के नाज़ से दामन भला किधर को चले

भारतेंदु हरिश्चंद्र

फिर आई फ़स्ल-ए-गुल फिर ज़ख़्म-ए-दिल रह रह के पकते हैं

भारतेंदु हरिश्चंद्र

फ़साद-ए-दुनिया मिटा चुके हैं हुसूल-ए-हस्ती मिटा चुके हैं

भारतेंदु हरिश्चंद्र

अजब जौबन है गुल पर आमद-ए-फ़स्ल-ए-बहारी है

भारतेंदु हरिश्चंद्र

अक़्ल दौड़ाई बहुत कुछ तो गुमाँ तक पहुँचे

बेताब अज़ीमाबादी

तिरी तेग़ का लाल कर दूँगा मुँह

बेख़ुद देहलवी

लड़ाएँ आँख वो तिरछी नज़र का वार रहने दें

बेख़ुद देहलवी

हज़रत-ए-दिल ये इश्क़ है दर्द से कसमसाए क्यूँ

बेख़ुद देहलवी

गर्दिश-ए-चश्म-ए-यार ने मारा

बेखुद बदायुनी

उदास काग़ज़ी मौसम में रंग ओ बू रख दे

बेकल उत्साही

तंज़ की तेग़ मुझी पर सभी खींचे होंगे

बेकल उत्साही

क़फ़स की तीलियों से ले के शाख़-ए-आशियाँ तक है

बेदम शाह वारसी

हलाक-ए-तेग़-ए-जफ़ा या शहीद-ए-नाज़ करे

बेदम शाह वारसी

बताए देती है बे-पूछे राज़ सब दिल के

बेदम शाह वारसी

अगर काबा का रुख़ भी जानिब-ए-मय-ख़ाना हो जाए

बेदम शाह वारसी

झोंके आते हैं बू-ए-उल्फ़त के

बयान यज़दानी

पार दरिया-ए-शहादत से उतर जाते हैं सर

बयान मेरठी

वो दरिया-बार अश्कों की झड़ी है

बयान मेरठी

ग़म्ज़ा-ए-मा'शूक़ मुश्ताक़ों को दिखलाती है तेग़

बयान मेरठी

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