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Collection: सुबह की सुबह Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 44 - Darsaal

सुबह की सुबह Poetry (page 44)

आगे हरीम-ए-ग़म से कोई रास्ता न था

अदा जाफ़री

क़फ़स से छुटने पे शाद थे हम कि लज़्ज़त-ए-ज़िंदगी मिलेगी

अबुल मुजाहिद ज़ाहिद

नई सुब्ह चाहते हैं नई शाम चाहते हैं

अबुल मुजाहिद ज़ाहिद

शब को हर रंग में सैलाब तुम्हारा देखें

अबुल हसनात हक़्क़ी

आगे वो जा भी चुके लुत्फ़-ए-नज़ारा भी गया

अबु मोहम्मद वासिल

ज़मीर-ए-नौ-ए-इंसानी के दिन हैं

अबु मोहम्मद सहर

आज यारों को मुबारक हो कि सुब्ह-ए-ईद है

आबरू शाह मुबारक

आया है सुब्ह नींद सूँ उठ रसमसा हुआ

आबरू शाह मुबारक

आज यारों को मुबारक हो कि सुब्ह-ए-ईद है

आबरू शाह मुबारक

मिट्टी थी किस जगह की

अबरार अहमद

हवा हर इक सम्त बह रही है

अबरार अहमद

कहीं पर सुब्ह रखता हूँ कहीं पर शाम रखता हूँ

अबरार अहमद

किसे ख़बर थी कि ख़ुद को वो यूँ छुपाएगा

आबिद ख़ुर्शीद

शब भर इक आवाज़ बनाई सुब्ह हुई तो चीख़ पड़े

अभिषेक शुक्ला

सुर्ख़ सहर से है तो बस इतना सा गिला हम लोगों का

अभिषेक शुक्ला

कुछ न किया अरबाब-ए-जुनूँ ने फिर भी इतना काम किया

अब्दुर रऊफ़ उरूज

पाबंद हर जफ़ा पे तुम्हारी वफ़ा के हैं

अब्दुल्ल्ला ख़ाँ महर लखनवी

क्या कीजिए रक़म सनद-ए-एहतिशाम-ए-ज़ुल्फ़

अब्दुल्ल्ला ख़ाँ महर लखनवी

सुन रख ओ ख़ाक में आशिक़ को मिलाने वाले

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

ग़ैर के दिल पे तू ऐ यार ये क्या बाँधे है

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

हम-नफ़स ख़्वाब-ए-जुनूँ की कोई ता'बीर न देख

अब्दुल मतीन नियाज़

खुली जब आँख तो देखा कि था बाज़ार का हल्क़ा

अब्दुल मन्नान तरज़ी

ईमाँ-नवाज़ गर्दिश-ए-पैमाना हो गई

अब्दुल मजीद हैरत

ईमाँ-नवाज़ गर्दिश-ए-पैमाना हो गई

अब्दुल मजीद हैरत

वो अहद-ए-जवानी वो ख़राबात का आलम

अब्दुल हमीद अदम

कितनी बे-साख़्ता ख़ता हूँ मैं

अब्दुल हमीद अदम

हँस हँस के जाम जाम को छलका के पी गया

अब्दुल हमीद अदम

ग़ुबार-ए-दर्द से सारा बदन अटा निकला

अब्दुल हफ़ीज़ नईमी

क़ुर्ब नस नस में आग भरता है

अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद

अपनी हस्ती से था ख़ुद मैं बद-गुमाँ कल रात को

अब्दुल अलीम आसि

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