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Collection: सुबह की सुबह Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 26 - Darsaal

सुबह की सुबह Poetry (page 26)

चम्पई धूप

गुलज़ार

अख़बार

गुलज़ार

शजर-ए-उम्मीद भी जल गया वो वफ़ा की शाख़ भी जल गई

गुलनार आफ़रीन

आबरू उल्फ़त में अगर चाहिए

ग़ुलाम यहया हुज़ूर अज़ीमाबादी

नज़्ज़ारा-ए-रुख़-ए-साक़ी से मुझ को मस्ती है

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

दुआएँ माँगीं हैं मुद्दतों तक झुका के सर हाथ उठा उठा कर

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

अपना हर उज़्व चश्म-ए-बीना है

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

सुब्ह-ए-काज़िब

गोपाल मित्तल

फिर वो नज़र है इज़्न-ए-तमाशा लिए हुए

गोपाल मित्तल

दिए से लौ नहीं पिंदार ले कर जा रही है

ग़ज़ाला शाहिद

कितनी ढल गई उम्र तुम्हारी हैरत है

ग़ुलाम मोहम्मद वामिक़

कहफ़-उल-क़हत

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

शौक़ बरहना-पा चलता था और रस्ते पथरीले थे

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

सब रंग ना-तमाम हों हल्का लिबास हो

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

वही वा'दा है वही आरज़ू वही अपनी उम्र-ए-तमाम है

ग़ुलाम मौला क़लक़

ग़ैर शायान-ए-रस्म-ओ-राह नहीं

ग़ुलाम मौला क़लक़

चल दिए हम ऐ ग़म-ए-आलम विदाअ'

ग़ुलाम मौला क़लक़

उफ़ुक़ से आग उतर आई है मिरे घर भी

ग़ुलाम हुसैन साजिद

क़र्या-ए-हैरत में दिल का मुस्तक़र इक ख़्वाब है

ग़ुलाम हुसैन साजिद

मिरी सुब्ह-ए-ख़्वाब के शहर पर यही इक जवाज़ है जब्र का

ग़ुलाम हुसैन साजिद

मिरे नज्म-ए-ख़्वाब के रू-ब-रू कोई शय नहीं मिरे ढंग की

ग़ुलाम हुसैन साजिद

मता-ए-दीद तो क्या जानिए किस से इबारत है

ग़ुलाम हुसैन साजिद

मैं अपने सूरज के साथ ज़िंदा रहूँगा तो ये ख़बर मिलेगी

ग़ुलाम हुसैन साजिद

ख़ुदा-ए-बर्तर ने आसमाँ को ज़मीन पर मेहरबाँ किया है

ग़ुलाम हुसैन साजिद

चराग़ की ओट में रुका है जो इक हयूला सा यासमीं का

ग़ुलाम हुसैन साजिद

अभी आइना मुज़्महिल है

ग़ुफ़रान अमजद

न सुब्ह वुसअ'त न शाम वुसअ'त

ग़ुफ़रान अमजद

मुझे किस तरह से न हो यक़ीं कि उसे ख़िज़ाँ से गुरेज़ है

ग़ुबार भट्टी

मिरे मुद्दआ-ए-उल्फ़त का पयाम बन के आई

ग़ुबार भट्टी

हर एक रात कहीं दूर भाग जाता हूँ

ग़ज़नफ़र

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