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Collection: मामला Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 27 - Darsaal

मामला Poetry (page 27)

वो तक़ाज़ा-ए-जुनूँ अब के बहारों में न था

होश तिर्मिज़ी

दिल को ग़म रास है यूँ गुल को सबा हो जैसे

होश तिर्मिज़ी

मुद्दत के बाद

हिमायत अली शाएर

तुम भी निगाह में हो अदू भी नज़र में है

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

कुछ मोहब्बत में अजब शेव-ए-दिल-दार रहा

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

हम तो मंज़िल के तलबगार थे लेकिन मंज़िल

हीरा लाल फ़लक देहलवी

रौशन है फ़ज़ा शम्स कोई है न क़मर है

हीरा लाल फ़लक देहलवी

क्या कहें क्यूँकर हुआ तूफ़ान में पैदा क़फ़स

हीरा लाल फ़लक देहलवी

कू-ए-जानाँ में नहीं कोई गुज़र की सूरत

हीरा लाल फ़लक देहलवी

उम्र भर बहते हैं ग़म के तुंद-रौ धारों के साथ

हज़ीं लुधियानवी

हम को अब भी नहर पर जा कर नहाना याद है

हातिम भट्टी

साथ में अग़्यार के मैं भी सफ़-ए-मक़्तल में हूँ

हातिम अली मेहर

मेरे ही दिल के सताने को ग़म आया सीधा

हातिम अली मेहर

दिल में जो मोहब्बत की रौशनी नहीं होती

हस्तीमल हस्ती

दिल में जो मोहब्बत की रौशनी नहीं होती

हस्तीमल हस्ती

ऐसे कुछ लोग भी मिट्टी पे उतारे जाएँ

हस्सान अहमद आवान

रू-ए-ज़ेबा नज़र नहीं आता

हसरत शरवानी

ख़ुशा वो बाग़ महकती हो जिस में बू तेरी

हसरत शरवानी

ताबाँ जो नूर-ए-हुस्न ब-सिमा-ए-इश्क़ है

हसरत मोहानी

सितम हो जाए तम्हीद-ए-करम ऐसा भी होता है

हसरत मोहानी

न सूरत कहीं शादमानी की देखी

हसरत मोहानी

ख़ू समझ में नहीं आती तिरे दीवानों की

हसरत मोहानी

हुस्न-ए-बे-परवा को ख़ुद-बीन ओ ख़ुद-आरा कर दिया

हसरत मोहानी

नज़र उस पर फ़िदा है जिस की ताबानी नहीं जाती

हसरत कमाली

रहे है नक़्श मेरे चश्म-ओ-दिल पर यूँ तिरी सूरत

हसरत अज़ीमाबादी

उस की आँखें हरे समुंदर उस की बातें बर्फ़

हसन रिज़वी

फिर नए ख़्वाब बुनें फिर नई रंगत चाहें

हसन रिज़वी

मुँह अपनी रिवायात से फेरा नहीं करते

हसन रिज़वी

कभी किताबों में फूल रखना कभी दरख़्तों पे नाम लिखना

हसन रिज़वी

गई रुतों को भी याद रखना नई रुतों के भी बाब पढ़ना

हसन रिज़वी

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