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Collection: शायद Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 22 - Darsaal

शायद Poetry (page 22)

जो मेरी छत का रस्ता चाँद ने देखा नहीं होता

चित्रांश खरे

एक मरकज़ पे सिमट आई है सारी दुनिया

चरण सिंह बशर

लौट चलिए

चन्द्रभान ख़याल

कैसा वो मौसम था ये तो समझ न पाए हम

चंद्र प्रकाश शाद

फ़ना का होश आना ज़िंदगी का दर्द-ए-सर जाना

चकबस्त ब्रिज नारायण

यही समझा हूँ बस इतनी हुई है आगही मुझ को

ब्रहमा नन्द जलीस

हैराँ हूँ कि अब लाऊँ कहाँ से मैं ज़बाँ और

बिस्मिल साबरी

आप अपने रक़ीब हैं हम लोग

बिर्ज लाल रअना

असीरान-ए-क़फ़स सेहन-ए-चमन को याद करते हैं

भारतेंदु हरिश्चंद्र

कुछ न कुछ सिलसिला ही बन जाता

भारत भूषण पन्त

कभी सुकूँ कभी सब्र-ओ-क़रार टूटेगा

भारत भूषण पन्त

कब तक गर्दिश में रहना है कुछ तो बता अय्याम मुझे

भारत भूषण पन्त

इश्क़ का रोग तो विर्से में मिला था मुझ को

भारत भूषण पन्त

चाहतों के ख़्वाब की ताबीर थी बिल्कुल अलग

भारत भूषण पन्त

न अरमाँ बन के आते हैं न हसरत बन के आते हैं

बेख़ुद देहलवी

दोनों ही की जानिब से हो गर अहद-ए-वफ़ा हो

बेख़ुद देहलवी

हर तरफ़ सोज़ का अंदाज़ जुदागाना है

बासित भोपाली

इस बहर-ए-बे-सदा में कुछ और नीचे जाएँ

बशीर सैफ़ी

हब्स के दिनों में भी घर से कब निकलते हैं

बशीर सैफ़ी

मेरा शैतान मर गया शायद

बशीर बद्र

भूल शायद बहुत बड़ी कर ली

बशीर बद्र

वो चाँदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है

बशीर बद्र

वक़्त के कटहरे में

बशर नवाज़

दिल की दीवार गिर गई शायद

बाक़ी सिद्दीक़ी

तारे दर्द के झोंके बन कर आते हैं

बाक़ी सिद्दीक़ी

मेरा जनम दिन

बाक़र मेहदी

लहरों का आतिश-फ़िशाँ

बाक़र मेहदी

ख़ामुशी

बाक़र मेहदी

गोडो

बाक़र मेहदी

धरती का बोझ

बाक़र मेहदी

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