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Collection: शौक Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 54 - Darsaal

शौक Poetry (page 54)

मैं जानता हूँ कौन हूँ मैं और क्या हूँ मैं

अब्दुल रहमान ख़ान वासिफ़ी बहराईची

करते नहीं जफ़ा भी वो तर्क-ए-वफ़ा के साथ

अब्दुल रहमान ख़ान वासिफ़ी बहराईची

दिल तो हाज़िर है अगर कीजिए फिर नाज़ से रम्ज़

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

तुझ को अग़राज़-ए-जहाँ से मावरा समझा था मैं

अब्दुल रहमान बज़्मी

मुद्दआ'-ओ-आरज़ू शौक़-ए-तमन्ना आप हैं

अब्दुल मन्नान तरज़ी

मरहला शौक़ का है लफ़्ज़-ओ-बयाँ से आगे

अब्दुल मन्नान तरज़ी

क्या यहाँ देखिए क्या वहाँ देखिए

अब्दुल मन्नान तरज़ी

खुली जब आँख तो देखा कि था बाज़ार का हल्क़ा

अब्दुल मन्नान तरज़ी

जब निगाह-ए-तलब मो'तबर हो गई

अब्दुल मन्नान तरज़ी

हर आन नई शान है हर लम्हा नया है

अब्दुल मन्नान तरज़ी

ग़ज़ल में फ़न का जौहर जब दिखाते हैं ग़ज़ल वाले

अब्दुल मन्नान तरज़ी

वो है हैरत-फ़ज़ा-ए-चश्म-ए-मा'नी सब नज़ारों में

अब्दुल मजीद सालिक

ग़म के हाथों मिरे दिल पर जो समाँ गुज़रा है

अब्दुल मजीद सालिक

सिर्फ़ इक क़दम उठा था ग़लत राह-ए-शौक़ में

अब्दुल हमीद अदम

सिर्फ़ इक क़दम उठा था ग़लत राह-ए-शौक़ में

अब्दुल हमीद अदम

गिरते हैं लोग गर्मी-ए-बाज़ार देख कर

अब्दुल हमीद अदम

फ़क़ीर किस दर्जा शादमाँ थे हुज़ूर को कुछ तो याद होगा

अब्दुल हमीद अदम

पीरी में शौक़ हौसला-फ़रसा नहीं रहा

अब्दुल ग़फ़ूर नस्साख़

पीरी में शौक़ हौसला-फ़रसा नहीं रहा

अब्दुल ग़फ़ूर नस्साख़

ताकीद करो ज़मज़मा-संजान-ए-चमन को

अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद

क़ज़ा से क़र्ज़ किस मुश्किल से ली उम्र-ए-बक़ा हम ने

अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद

नख़चीर हूँ मैं कश्मकश-ए-फ़िक्र-ओ-नज़र का

अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद

मैं बात कौन से पैरा-ए-बयाँ में करूँ

अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद

मिरी मैं जश्न-ए-शब-ए-मुनव्वर

अब्दुल अज़ीज़ फ़ितरत

जबीन-ए-शौक़ को कुछ और भी इज़्न-ए-सआदत दे

अब्दुल अलीम आसि

यूँ तो सौ तरह की मुश्किल सुख़नी आए हमें

अब्दुल अहद साज़

हम अपने ज़ख़्म कुरेदते हैं वो ज़ख़्म पराए धोते थे

अब्दुल अहद साज़

झोंके के साथ छत गई दस्तक के साथ दर गया

अब्बास ताबिश

ये हम जो हिज्र में उस का ख़याल बाँधते हैं

अब्बास ताबिश

ये हम जो हिज्र में उस का ख़याल बाँधते हैं

अब्बास ताबिश

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