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Collection: शौक Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 16 - Darsaal

शौक Poetry (page 16)

ख़ुशबुओं से मिरी हर साँस को भर देता है

शबनम वहीद

अब मुझ को क्या ख़बर वो यहाँ है भी या नहीं

शबनम शकील

तमाम उम्र की आवारगी पे भारी है

शबनम रूमानी

मैं ने किस शौक़ से इक उम्र ग़ज़ल-ख़्वानी की

शबनम रूमानी

मय-ए-फ़राग़त का आख़िरी दौर चल रहा था

शब्बीर शाहिद

लौट आएगा किसी शाम यही लगता है

शबाना यूसुफ़

हद्द-ए-सितम न कर कि ज़माना ख़राब है

शबाब ललित

सहरा की बे-आब ज़मीं पर एक चमन तय्यार किया

शायर लखनवी

हवा को और भी कुछ तेज़ कर गए हैं लोग

शायर लखनवी

इतना ही नहीं है कि तिरे बिन न रहा जाए

शानुल हक़ हक़्क़ी

असर न हो तो उसी नुत्क़-ए-बे-असर से कह

शानुल हक़ हक़्क़ी

मयस्सर जिन की नज़रों को तिरे गेसू के साए हैं

शाद आरफ़ी

जिस से वफ़ा की थी उम्मीद उस ने अदा किया ये हक़

सेहर इश्क़ाबादी

दावर ने बंदे बंदों ने दावर बना दिया

सेहर इश्क़ाबादी

मिरे हक़ में कोई ऐसी दुआ कर

सीमान नवेद

वाक़िफ़ हैं ख़ू-ए-यार से देखे चलन तमाम

सीमाब ज़फ़र

ये किस ने शाख़-ए-गुल ला कर क़रीब-ए-आशियाँ रख दी

सीमाब अकबराबादी

वुसअतें महदूद हैं इदराक-ए-इंसाँ के लिए

सीमाब अकबराबादी

शुक्रिया हस्ती का! लेकिन तुम ने ये क्या कर दिया

सीमाब अकबराबादी

हम हैं सर-ता-बा-पा तमन्ना

सीमाब अकबराबादी

ग़म मुझे हसरत मुझे वहशत मुझे सौदा मुझे

सीमाब अकबराबादी

चमक जुगनू की बर्क़-ए-बे-अमाँ मालूम होती है

सीमाब अकबराबादी

ब-क़द्र-ए-शौक़ इक़रार-ए-वफ़ा क्या

सीमाब अकबराबादी

बड़ी दिलचस्पियों से सुब्ह-ए-शाम-ए-ज़िंदगी होगी

सीमाब अकबराबादी

अंजाम हर इक शय का ब-जुज़ ख़ाक नहीं है

सीमाब अकबराबादी

महफ़िल-ए-दोस्त में गो सीना-फ़िगार आए हैं

सय्यद एहतिशाम हुसैन

कहाँ नसीब ज़मुर्रद को सुर्ख़-रूई ये

सययद मोहम्म्द अब्दुल ग़फ़ूर शहबाज़

बूँद अश्कों से अगर लुत्फ़-ए-रवानी माँगे

सययद मोहम्म्द अब्दुल ग़फ़ूर शहबाज़

अंजाम ख़ुशी का दुनिया में सच कहते हो ग़म होता है

सययद मोहम्म्द अब्दुल ग़फ़ूर शहबाज़

किसे ताक़त है शरह-ए-शौक़ उस मज्लिस में करने की

मोहम्मद रफ़ी सौदा

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